अगर आप भी अपने फेफड़ों को मजबूत रखना चाहते हैं, तो आपको भुजंगासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए। इस आसन का अभ्यास करने से हार्ट ब्लॉकेज नहीं होगा। बता दें कि यह आसन सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां आसन है। इस आसन में शरीर सांप की आकृति बनाता है। इस आसन को जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। यह आसन सांप के उठे हुए फन की मुद्रा होती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको भुजंगासन करने की विधि और इससे होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।
ऐसे करें भुजंगासन
भुजंगासन का अभ्यास करने के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और अपनी दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ रखें। इस दौरान ध्यान रखें कि टखने एक-दूसरे को छूते रहें।
अब दोनों हाथों को कंधे के बराबर लाएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ रखें।
फिर शरीर का पूरा वजन हथेलियों पर डालें और सांस अंदर की तरफ खींचें और सिर को उठाते हुए पीठ की तरफ खीचें।
ध्यान दें कि इस दौरान आपकी कोहनी मुड़ी हुई हो।
इसके बाद सिर को पीछे की ओर खींचे और छाती को आगे की तरफ निकालें। इस दौरान आपके कंघे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बनें।
अब अपने हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की ओर दबाव बढ़ाएं।
शरीर को इस स्थिति में करीब 15-20 सेकेंड तक रखें और सांस की गति को सामान्य बनाए रखें। इस दौरान ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की ओर दब रह है और लगातार अभ्यास करने के बाद आप इस आसन को दो मिनट तक भी कर सकते हैं।
फायदे
इस आसन को करने से टेंशन दूर होता है और डिप्रेशन में भी फायदा मिलता है।
हार्ट की नसों और फेफड़ों की ब्लॉकेज खोलने में मदद करता है।
साइटिका और अस्थमा की बीमारी में भी यह राहत दिलाता है।
भुजंगासन का अभ्यास करने से हड्डी का लचीलापन और मजबूती बढ़ती है।
यह आसन पेट के निचले हिस्से के सभी अंगों को मजबूत बनाता है।
मूत्रमार्ग और पाचनतंत्र की समस्याओं को दूर करने के साथ ही यह यौन शक्ति को भी बढ़ाता है।
भुजंगासन का अभ्यास करने से वेट कम करने में भी सहायता मिलती है।
इस आसन का अभ्यास करने से कंधे, सीने, फेफड़े और पेट के निचले हिस्से में अच्छा खिंचाव मिलता है।