एक उम्र के बाद हर महिला को मेनोपॉज के प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। यह एक नेचुरल प्रोसेस होता है। जिस तरह से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसी तरह से मेनोपॉज के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को नींद न आने, बार-बार नींद खुलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि मेनोपॉज के दौरान नींद क्यों प्रभावित होती है। साथ ही यह भी जानेंगे कि इस दौरान महिलाओं को नींद न आने की समस्या क्यों होती है और इसके क्या कारण होते हैं।
हार्मोन में बदलाव
मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन के लेटल में भी भारी कमी आती है। जिससी वजह से हॉट फ्लैशेज आते हैं और तेजी से पसीना आता है, दिल की धड़कन तेज हो जाती है। जिसकी वजह से बार-बार नींद खुलती है। वहीं अवसाद और चिंता बढ़ जाती है। यह सभी कारक नींद में खलल पैदा कर सकते हैं।
मेलाटोनिन
वहीं मेनोपॉज के दौराम मेलाटोनिन का लेवल घट जाता है, जिससे कि नींद की गणवत्ता प्रभावित होती है। मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है, जो नींद-जागने का चक्र को नियंत्रित करता है।
शारीरिक समस्याएं
बता दें कि मेनोपॉज के दौरान कई शारीरिक समस्याएं जैसे पाचन संबंधी और जोड़ों में दर्द बढ़ जाती हैं। इन समस्याओं के कारण नींद भी प्रभावित हो सकती है।
उम्र
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, महिलाओं को बढ़ती उम्र के साथ अनिद्रा का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे नींद की समस्याएं और भी अधिक होने लगती हैं।