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Health Tips: इन महिलाओं को अधिक होता है पेटीकोट कैंसर का खतरा, एक्सपर्ट से जानिए बचाव का तरीका

By Healthy Nuskhe | Jan 30, 2025

अधिकतर भारतीय महिलाएं साड़ी पहनती हैं। लेकिन क्या आपको बता है कि साड़ी पहनने से कैंसर हो सकता है। हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, पारंपरिक साड़ी में टाइट नाड़े वाले पेटीकोट पहना जाता है। जिसके वजह से स्किन कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यह जोखिम पेटीकोट की वजह से होता है। इसलिए इसको पेटीकोट कैंसर का नाम दिया गया है। इस कैंसर का खतरा गांव की महिलाओं में ज्यादा होता है। क्योंकि वह साड़ियां ही पहनती हैं। पेटीकोट का नाड़ा अधिक टाइट होने की वजह से कमर पर लगातार दबाव पड़ता है और नाड़े की रगड़ भी पड़ती है। जिसकी वजह से रेयर स्किन कैंसर 'मार्जोलिन अल्सर' हो जाता है।

मार्जोलिन अल्सर एक रेयर और अग्रेसिव स्किन कैंसर है। यह कैंसर तेज रगड़ की वजह या फिर जलने के बाद ठीक न होने वाले घावों या निशानों की वजह से होता है। यह बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन समय के साथ यह लिवर, किडनी, ब्रेन या लंग्स सहित पूरे शरीर के सभी अंगों में फैल सकता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पेटीकोट कैंसर के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि इसके लक्षण क्या हैं और बचाव या इलाज के तरीके क्या हैं।

पेटीकोट कैंसर
शरीर के किसी भी हिस्से पर अधिक प्रेशर पड़ने की वजह से खून की आवाजाही पर असर पड़ता है। अगर यह दबाव रोजाना पड़ता है, तो उस जगह की त्वचा में बदलाव आ सकता है और इससे सूजन, निशान या फिर घाव हो सकता है। वहीं यह मार्जोलिन अल्सर में भी बदल सकता है। अगर यह स्थिति पेटीकोट के टाइट नाड़े की वजह से होती है, तो इसको पेटीकोट कैंसर कहा जाता है। पेटीकोट कैंसर का मतलब रेयर स्किन कैंसर मार्जोलिन अल्सर है। मार्जोलिन अल्सर के अधिकतर लक्षण ही पेटीकोट कैंसर के भी संकेत हैं।

मार्जोलिन अल्सर होने पर स्किन में पपड़ीनुमा उभार दिखाई देता है। जिसकी वजह से त्वचा में जलन, खुजली और छाले भी हो सकते हैं। फिर यह पपड़ीनुमा उभार घाव जैसे दिखने लगते हैं। इसके आसपास कई कठोर गांठें बन जाती हैं और कई मामलों में त्वचा का रंग भी बदल जाता है।

प्रेशर सोर
जब एक ही जगह पर लगातार नाड़े का दबाव पड़ता है, तो वहां की त्वचा डैमेज होने लगती है। यह तब विकसित होते हैं, जब कोई लंबे समय तक बिस्तर पर रहता है। जब वह सही से हिल-डुल नहीं पाता है। तब हड्डियों के करीब घाव विकसित होने लगते हैं। कमर की हड्डियों के पास यह घाव विकसित होते हैं।

क्रोनिक वेनस अल्सर
बता दें कि कमर के आसपास की नसों में लगातार दबाव पड़ने से क्रोनिक वेनस अल्सर विकसित हो जाते हैं। इसमें आपको दर्द, खुजली और सूजन आदि की समस्या देखने को मिल सकती है।

अल्सर
अल्सर आम घाव की तरह होता है। इसमें त्वचा की ऊपरी सतह पर दरारें या टूटन सी नजर आने लगती है।

स्कार्स
इसमें स्किन पर टिश्यू ग्रोथ दिखती है। इसके निशान बिलकुल चोट के निशान की तरह दिखते हैं।

अगर आपको नाड़ा बांधने की जगह पर कुछ ऐसा समझ आ रहा है, तो आपको इसकी फौरन जांच करवानी चाहिए।

डॉक्टर पेटीकोट अल्सर के डाइग्नोसिस के लिए सबसे पहले मेडिकल हिस्ट्री और घाव की वजह पूछ सकते हैं। वहीं अगर डॉक्टर को कैंसर का जोखिम नजर आता है, तो वह आपको कुछ टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।

बायोप्सी
त्वचा के डैमेज्ड हिस्से को बायोप्सी के लिए भी भेजा जा सकता है। वहीं कमर के आसपास की डैमेज त्वचा के हिस्से को हटा दिया जाता है और इवैल्युएशन के लिए लैब में भेजा जाता है।

MRI या CT-SCAN
अगर लैब टेस्ट में यह पता चल जाता है, तो मार्जोलिन अल्सर है तो यह अगले टेस्ट में पता लगाया जाता है। इससे पता चलता है कि शरीर में कितने हिस्से तक कैंसर फैला है। इसकी जांच के लिए डॉक्टर MRI या CT SCAN के टेस्ट के लिए कह सकते हैं।

पेटीकोट कैंसर का इलाज
आमतौर पर यह कैंसर होने पर मोह्स सर्जरी की जाती है। इसमें डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से स्किन से कैंसर सेल्स को हटा दिया जाता है। यह सर्जरी कई स्टेज में की जाती है। हर सर्जरी के पूरा होने के बाद डॉक्टर त्वचा की जांच करते हैं। अगर इस दौरान डॉक्टर को कैंसर सेल्स दिखती हैं, तो फिर से सर्जरी की जाती है। यह प्रोसेस तब तक चलता रहता है, जब तक कैंसर सेल्स खत्म नहीं हो जाता है।

सर्जरी कंप्लीट होने के बाद डॉक्टर डैमेज्ड सेल्स के हिस्से को स्किन ग्राफ्ट से ढके रहने की सलाह दे सकते हैं। 

कीमोथेरेपी
यह एक तरह का ड्रग ट्रीटमेंट है। कीमोथेरेपी के जरिए शरीर के अंदर तेजी से बढ़ रही और डिवाइस हो रही सेल्स को मारने के लिए पावरफुल केमिकल्स का उपयोग किया जाता है।

रेडिएशन थेरेपी
यह थेरेपी कैंसर पेशेंट को दी जाती है। इसमें कैंसर सेल्स को मारने के लिए इंटेंस एनर्जी की किरणों का इस्तेमाल किया जाता है।

एम्पुटेशन
एम्पुटेशन में सर्जरी के माध्यम से संक्रमित अंग हटा दिया जाता है।

बता दें कि पेटीकोट कैंसर का यह मतलब नहीं है कि यह सिर्फ उन महिलाओं को हो सकता है, जो पेटीकोट पहनती हैं। दरअसल, यह मार्जोलिन अल्सर है, जो बॉडी के किसी भी हिस्से की त्वचा पर हो सकता है।

जानिए बचाव का तरीका
आप जो भी कपड़े पहन रहे हैं, उसका बेल्ट, नाड़े या इलास्टिक रबर बहुत ज्यादा टाइट न हो।
अधिक टाइट जींस या पैंट पहनने से बचना चाहिए।
आप जो भी कपड़ा पहनें, वह हल्का बांधें जिससे स्किन पर अधिक दबाव न पड़े।
कभी भी बहुत ज्यादा टाइट कपड़े नहीं पहनना चाहिए। खासतौर पर ध्यान रखें कि अंडरगारमेंट्स टाइट न हों।
अगर कमर पर लंबे समय से घाव है, तो फौरन डॉक्टर से कंसल्ट करें।
वहीं अगर स्किन के रंग में कोई बदलाव दिख रहा है या फिर गांठ महसूस हो रही है तब भी डॉक्टर से संपर्क करें।
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