महिलाओं के जीवन में मेनोपॉज का एक अहम पड़ाव होता है। इस पड़ाव पर आकर महिलाओं के पीरियड्स रुक जाते हैं। इसके कारण प्रजनन क्षमता भी खत्म हो जाती है। बता दें कि मेनोपॉज सिर्फ पीरियड्स रुकने या प्रजनन क्षमता तक की सीमित नहीं होता है। यह कई बार महिलाओं के मानसिक और शरीरिक हेल्थ पर गहरा प्रभाव डालता है। मेनोपॉज के महिलाओं में अक्सर तनाव, मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, थकान, संबंध बनाने के दौरान दर्द आदि की समस्या देखी जाती है।
डिप्रेशन का शिकार
कई रिसर्च में सामने आया है कि यदि इस दौरान महिलाओं को घर परिवार का साथ नहीं मिल पाता है तो वह डिप्रेशन का शिकार होने लगती है। बदलते लाइफस्टाइल के कारण महिलाओं का मेनोपॉज भी इरेग्युलर हो गया है। कई बार समय से पहले तो कई बार महिलाओं को देर से मेनोपॉज आता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो सही डाइट और मेंटल सपोर्ट से मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स
सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. अवनि तिवारी के मुताबिक मेनोपॉज वह स्टेज होता है। जहां महिलाओं के शरीर में हॉर्मोंस तेजी से बदलते हैं। हॉर्मोंस में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण वह चिड़चिड़ा, गुस्सैल और नाराजगी को बढ़ाती हैं। कई बार यह नाराजगी दूसरों पर भी निकल जाता है। लेकिन इन महिलाओं की समस्या को समझे बिना समाज इन महिलाओं को बेवजह कुढ़ने वाली महिला का टैग दे देते हैं। इस समय महिलाओं को खास देखभाल किए जाने, केयर किए जाने और उनकी स्थिति को समझने की जरूरत होती है। लेकिन इन सब की जगह कई बार महिलाओं को घर और समाज से ताने सुनने को मिलते हैं। महिलाओं को एंग्री या माचो-वुमन के तौर पर पुरुष उन्हें स्वीकार नहीं कर पाते। जिस कारण यह पारिवारिक कलह में बदल जाती है।
जानिए क्या कहती है रिसर्च
अमेरिकी रिसर्च के अनुसार, जो महिलाएं रेगुलर संबंध बनाने वाली होती है, उन्हें मेनोपॉज देर से आता है। बता दें कि अलग-अलग देशों की महिलाओं में अलग-अलग उम्र में मेनोपॉज होता है। जहां भारत में महिलाओं को करीब 45 साल की उम्र में तो रूस की महिलाओं को 50 और अमेरिकन महिलाओं को 51 साल की उम्र में मेनोपॉज हिट करता है।
मेनोपॉज के कई खतरे
बता दें कि महिलाओं में होने वाला मेनोपॉज एक नेचुरल प्रॉसेस है, यह एक समय पर हर महिला के साथ होता ही है। लेकिन आजकल की बदलती लाइफस्टाइल भी समय से पहले मेनोपॉज होने का कारण बनती है। महिलाओं की बॉडी को अनहेल्दी लाइफ स्टाइल अर्ली मेनोपॉज के लिए तैयार कर देता है। लेकिन महिलाओं का मन इस होने वाले बदलाव को झेलनेके लिए कई बार तैयार नहीं होता है। जिसके कारण महिलाओं में मानसिक समस्याएं होने लगती है।
डाइट-सप्लीमेंट
आजकल के दौर में 35 से 40 साल की उम्र में महिलाओं में इरेग्युलर पीरियड्स की समस्या देखी जाती है। अर्ली मेनोपॉज से बचने के लिए जानकार सिगरेट, चाय, कॉफी, अल्कोहल आदि से दूीर रहने का सुझाव देते हैं। वहीं इसके प्रभाव से बचने के लिए फल-हरी सब्जियां खाने, रोजाना एक्सरसाइज करने और खूब पानी पीने की सलाह देते हैं। हालांकि ऐसी स्थिति से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स का भी सेवन किया जा सकता है।
खानपान को रखे सही
डाइटीशियन प्रीति सिंह के अनुसार, मेनोपॉज नॉर्मल होता है, लेकिन कई लोग इसे समस्या के तौर पर देखते हैं। इस दौरान खास तरह की चीजें खाने और बरतने की सलाह दी जाती है। सही खानपान और एक्टिविटीज के सहारे मेनोपॉज के नेगेटिव इफेक्ट का कम किया जा सकता है। इसके लिए आप कैल्शियम बेस्ड प्रोडक्ट के साथ विटामिन डी सप्लिमेंट का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। कैफीन और एल्कोहल से बचना चाहिए। साथ ही रेगुलर एक्सरसाइज को अपनी रुटीन में जरूर शामिल करें।