महिलाओं के जीवन में कुछ ही ऐसे पल होतें हैं जिसका वो बेसब्री से इंतजार करती है। जैसे माँ बाप का सम्मान बढ़ाना, उसकी शादी होना और माँ बनना यह वो लम्हें होते हैं, जिसके लिए वो बहुत बेताब रहती हैं। इन सभी में से माँ बनना उसके लिए बहुत ही सौभाग्य की बात होती है। किसी भी महिला के लिए ख़ुशी तब और बढ़ जाती है। जब वो अपने बच्चे को पहली बार अपना स्तनपान कराती है।
एक छोटे शिशु के लिए माँ का दूध अमृत के समान होता है। क्योंकि वो मासूम शिशु माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। माँ का दूध ही शिशु को पोषण, ऊर्जा देता है साथ ही उसके शरीर की इम्युनिटी पावर को भी बढ़ाता है। लेकिन इन सबके अलावा एक बात और है जो हर माँ को जाननी चाहिए और वो यह की शिशु को माँ के दूध का सेवन भी एक निर्धारित उम्र तक ही करना चाहिए।
सामान्य तौर पर शिशु को कम से कम छः महीने तक माँ का दूध देना बहुत ज़रूरी होता है, एक साल होने तक स्तनपान कराना काफ़ी फायदेमंद है। एक साल तक स्तनपान कराना कोई ग़लत चीज़ नहीं है। लेकिन एक साल बाद शिशु को स्तनपान बंद करा के उसे ठोस आहार देना शुरू कर देना चाहिए। जिससे शिशु को उम्र के हिसाब से पोषण मिलना शुरू हो जाए और वो दूध के अलावा अन्य खानों को खाने की आदत डालने लगे।
छः महीने के बाद ही शिशु को दूध छुड़ाने की आदत डाल देनी चाहिए। ताकि एक साल होते-होते उसको ठोस चीज़ों को खाने की आदत लग जाए। इसलिए आज हम आपको बताएंगे की आप कैसे अंदाजा लगा सकती हैं, कब आपको शिशु का स्तनपान बंद करना चाहिए।
जब शिशु के दांत निकलने लगे
शिशु के दांत निकलने लगे तो उसका स्तनपान बंद कर देना चाहिए। ज्यादातर छः महीने से ज़्यादा होने के बाद शिशु के दांत निकलने शुरू हो जाते हैं और ऐसे में उन्हें थोड़ा-थोड़ा ठोस खाना देना शुरू कर देना चाहिए। लेकिन स्तनपान को तुरंत ना बंद करें। माँ के दूध के साथ-साथ उसे ठोस आहार भी दें। साथ ही ध्यान देना है कि आपके शिशु का पेट भरा रहे। ताकि उसे भूख कम लगे और धीरे-धीरे स्तनपान का वक़्त कम करना शुरू कर दें। ताकि शिशु की दूध पीने की आदत छूटने लगे।
ब्रेस्टफीडिंग के रूटीन में बदलाव
जब आपका शिशु बड़ा होने लगता है, तो उसके स्तनपान की आदतों में भी परिवर्तन होने लगता है। जब शिशु बड़ा होने लगता है तो आप नोटिस करेंगी कि उसके स्तनपान की आदतों में भी परिवर्तन होने लगता है। जैसे कि वो ज़्यादा देर स्तनपान नहीं करते और स्तनपान करने के बाद भी चिड़चिड़े हो जाते है, ज्यादातर रोते रहते हैं। यह सब संकेत हैं, कि अब आपके शिशु को ठोस आहार की ज़रूरत है। क्योंकि आपका दूध शिशु के लिए काफ़ी नहीं है।
अगर दूध ना बने
कई महिलाओं के अंदर ज्यादातर छः से सात महीने के बाद दूध बनना बंद हो जाता है। और महिलाएं बच्चों को बोतल से दूध पिलाने लगती हैं। ऐसे समय में आपको समझ जाना चाहिए, कि अब आपके शिशु को ठोस आहार देने की जरूरत पड़ने वाली है। उसे ठोस आहार देना शुरू कर देना चाहिए। क्यूंकि ऐसी कंडीशन में शिशु का पेट सिर्फ आपके दूध से नहीं भर सकता।
अगर दूध पीने के बाद भी आपका शिशु भूखा हो
कई बार शिशु दूध पीने के बाद भी बहुत चिड़चिड़ाते हैं। कभी-कभी ऐसा उनकी सेहत में कुछ परेशानी होने के कारण होता है। वो इसलिए ही ऐसा व्यवहार करते हैं, यदि शिशु स्वस्थ है और उसके बाद भी वो चिड़चिड़ा रहा है या रो रहा है तो इसका मतलब उसका पेट आपके दूध से नहीं भर रहा है और अब उसको ठोस आहार देने की ज़रूरत है।
जब आपका शिशु ब्रेस्टफीडिंग ना करना चाहे
जब आपका शिशु आपका दूध पीने में आनाकानी करे, रोए, कम से कम बार स्तनपान करे या दूध पीते वक़्त इधर-उधर अपना ध्यान ले जाए या खेलना शुरू कर दे तो इसका मतलब यह है कि आपके शिशु का स्तनपान बंद करने का वक़्त आ गया है। लेकिन कभी भी शिशु का अचानक से स्तनपान ना बंद करें। ऐसा करना ना सिर्फ शिशु के लिए बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं होगा। अचानक स्तनपान छुड़ाने से माँ को ब्रेस्ट इन्फेक्शन का ख़तरा हो सकता है। इसलिए धीरे-धीरे शिशु को ठोस आहार देना शुरू करें और स्तनपान का वक़्त कम करने लगें।