कई बार गर्भवती महिलाऐं गर्भपात और समय से पूर्व प्रसव से बचने के लिए दवाइयों का सेवन करती हैं। लेकिन इससे लंबे समय में उनके साथ-साथ उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी नकारत्मक प्रभाव पड़ता है। गर्भपात या समय से पूर्व बच्चे का जन्म रोकने के लिए दी जाने वाली एक दवा का महिला के गर्भाशय पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे बच्चे में कैंसर का खतरा अधिक है। यह निष्कर्ष ह्यूस्टन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर (University of Texas Health Science Center in Houston) के साइंटिस्टों की तरफ से की गई रिसर्च में सामने आए है। यह निष्कर्ष अमेरिकन जर्नल ऑफ अब्स्टेटिक्स एंड गाइनकोलाजी (American Journal of Aesthetics and Gynecology) में प्रकाशित हुए है।
साइंटिस्ट्स के मुताबिक, 17-ओएचपीसी (17-OHPC) नामक दवा एक सिंथेटिक प्रोजेस्टोजन है, जिसका इस्तेमाल 1950-1960 से लेकर वतर्मान समय में भी पूर्व प्रसव रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं को दी जाती है। प्रोजेस्टेरोन गर्भावस्था के दौरान गर्भ को बढ़ने में मदद करता है और इसके साथ ही गर्भवती महिला में प्रारंभिक संकुचन की रोकथाम करता है, जिसकी वजह से ही गर्भपात का खतरा बढ़ता है। इस अध्ययन की लेखिका, कैटलिन सी मर्फी के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान दवा लेने वाली महिलाओं से पैदा हुए बच्चों में सारी उम्र कैंसर का रिस्क सामान्य बच्चों की तुलना में दोगुना बना रहता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बताया कि 1960 में या उसके बाद पैदा हुए लोगों में कोलोरेक्टल यानी आंत और मलाशय कैंसर, पैंक्रिएटिक कैसर, थायराइड कैंसर समेत कई अन्य बीमारियां देखी गईं लेकिन इसका कोई ठोस कारण किसी को पता नहीं था। इसी के मद्देनजर शोधकर्ताओं ने जून 1959 से जून 1967 के बीच एक योजना के तहत जिन महिलाओं ने प्रसव-पूर्व देखरेख की सेवाएं लीं, उनके डेटा के साथ ही कैलिफोर्निया कैंसर रजिस्ट्री के डेटा की भी समीक्षा की।
स्टडी का निष्कर्ष
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 18,751 से लोगों के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें से 1,008 लोगों को कैंसर हुआ था और इन लोगों में से 234 लोग गर्भावस्था के दौरान दवा 17-ओएचपीसी के संपर्क में आए थे। वयस्क होने पर कैंसर ग्रसित होने वाले लोगों की संख्या दोगुनी थी, जो गर्भावस्था के दौरान इस दवा के संपर्क में आए थे। खास बात यह कि 65 प्रतिशत लोग 50 साल से कम उम्र में ही कैंसर पीड़ित हुए।
केटलीन सी मर्फी ने बताया कि स्टडी में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान इस दवा के इस्तेमाल से बच्चों का शुरुआती विकास बाधित हो सकता है, जिससे दशकों बाद कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि स्टडी में इस दवा के प्रयोग से सिंथेटिक हार्मोन का प्रभाव भी देखने को मिला। उन्होंने आगे कहा कि जो प्रक्रिया या बदलाव हमारे साथ गर्भ में होते हैं, वे कई दशकों बाद कैंसर के विकास के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं। उन्होंने कहा कि 17-ओएचपीसी लेने का कोई लाभ नहीं है और यह दवा समय से पहले जन्म के जोखिम को भी कम नहीं करता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US Food and Drug Administration) ने अक्तूबर 2020 में प्रस्ताव दिया था कि इस विशेष दवा को बाजार से वापस ले लिया जाए।