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अपनाएं यह घरेलू उपाय, जड़ से खत्म हो जाएगी बवासीर की समस्या

By Healthy Nuskhe | Feb 17, 2022

बवासीर को पाइल्स भी कहा जाता है। ये बीमारी बहुत ज्यादा तकलीफ दायक होती है। इसमें गुदा के अंदर और बाहर सूजन आ जाती है। इसके साथ ही मस्से निकल आते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। ऐसे में इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को उठते बैठते वक्त भी दर्द रहता है। इस बीमारी का अगर सही समय पर इलाज नहीं हुआ तो ये और भी घातक हो जाती है। कई बार तो लोगों को इसका ऑपरेशन भी कराना पड़ता है। इसमें गुदा (Anus) के अंदर और बाहर तथा मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। करीब 60 फीसदी लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है। रोगी को सही समय पर पाइल्स का इलाज (Piles Treatment) कराना बेहद ज़रूरी होता है। समय पर बवासीर का उपचार नहीं कराया गया तो तकलीफ काफी बढ़ जाती है। बवासीर दो तरह की होती है। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखाई नहीं देती जबकि बाहरी बवासीर में यह गुदा के बिल्कुल बाहर दिखाई देती है। इस बीमारी में जब मलत्याग किया जाता है तब अत्यधिक पीड़ा और फिर रक्त स्राव की समस्या होती है। कुछ आयुर्वेदिक औषधियां इसके उपचार में बहुत मददगार हैं। इनके इस्तेमाल से बवासीर से पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सकता है। यह एक अनुवांशिक समस्या भी है। यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही हो, तो इससे दूसरे व्यक्ति को होने की आशंका रहती है। बहुत पुराना होने पर यह भगन्दर का रूप धारण कर लेता है जिसे फिस्टुला (Fistula) भी कहते हैं। इसमें बेहद जलन एवं पीड़ा होती है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर दो प्रकार की होती हैं -
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है। मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। यह और गंभीर हो जाता है जब यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं। 
बादी बवासीर
बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।
इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है। 
बवासीर होने के कारण
आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग कहा गया है।  जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, वे अर्श शुष्क होते हैं। इसलिए मांसांकुरों में से स्राव नहीं होता है। जिस अर्श में रक्त या पित्त या रक्तपित्त की प्रधानता होती है, वे आर्द्र अर्श होते है। इसमें रक्तस्राव होता है। शुष्क अर्श में पीड़ा अधिक होती है।
इसके होने के कुछ अन्य कारण भी होते है -
1. कुछ व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटे खड़े रहना पड़ता है, जैसे- बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि। इसके साथ ही जिन्हें भारी वजन उठाना पड़ता है। इन लोगों को बवासीर से पीड़ित होने की अधिक संभावना रहती है। 
2. कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक जाती है, जिन्हें मस्सा कहा जाता है।
3. अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
4. शौच ठीक से ना होना।
5. फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
6. महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है।
7. आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।
8. धूम्रपान और शराब का सेवन।
9. अवसाद
कुछ घरेलू तरीके जो पाइल्स की समस्या से निपटने में कर सकते हैं मदद -
1. एलो वेरा
एलो वेरा में कई समस्याओं का इलाज छिपा है। यह सिर्फ स्किन को सॉफ्ट और स्पॉटलेस बनाने के लिए ही इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि पाइल्स की बीमारी में भी यह काफी आराम देता है। हालांकि पाइल्स के लिए फ्रेश एलो वेरा जेल यानी एलो वेरा की पत्ती से तुरंत निकाला गया जेल यूज करना चाहिए। इस जैल को पाइल्स वाले हिस्से में बाहर की तरफ लगाएं। दिन में कम से 2-3 बार इस जेल को लगाएं।
2. छाछ और जीरा
बवासीर को जल्द से जल्द ठीक करने का यह बेहतरीन उपाय है। दो लीटर छाछ में पचास ग्राम जीरा पीसकर मिला लें और जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह यह मिश्रण पिएं। तीने से चार दिन के अंदर ही लाभ दिखने लगेगा। छाछ की जगह पानी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसके लिए एक गिलास पानी में आधा चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर पिएं।
3. इसबगोल
इसबगोल की भूसी खाने से पेट साफ रहता है और मल की कठोरता कम होती है। इससे बवासीर में दर्द नहीं होता।
4. बड़ी इलायची 
बड़ी इलायची की 50 ग्राम मात्रा लेकर तवे पर भून लीजिए। जब इलायची भूनते हुए जल जाए तब इसे तवे पर से उतारकर ठंडा कर लीजिए और पीसकर रख लीजिए। हर रोज सुबह खाली पेट इस चूर्ण के साथ पानी पीजिए। जल्दी ही बवासीर ठीक हो जाएगा।
5. किशमिश
रात को सोते समय सौ ग्राम किशमिश को पानी में भिगो दें। सुबह उठकर पानी में ही इसे मसल डालें और रोज इस पानी का सेवन करें। बवासीर रोग में यह बेहद फायदेमंद नुस्खा है।
6. जामुन 
खूनी बवासीर में जामुन बड़े काम की चीज होती है। जामुन के अंदर का भाग निकालकर इसे धूप में सुखा लें और इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक चम्मच मात्रा गुनगुने पानी या फिर छाछ के साथ सेवन करें। बवासीर में बेहद लाभ मिलेगा।
7. जैतून का तेल
बवासीर की समस्या से परेशान लोगों के लिए जैतून का तेल भी बहुत उपयोगी है। जैतून का तेल सूजन कम कर सकता है। बवासीर में सूजन वाले स्थान पर जैतून का तेल लगाए। इससे सूजन कम होगी।
8. मट्ठा और अजवायन
अजवायन और दही से बना मट्ठा बवासीर रोगियों के लिए बहुत अच्छा होता है। इसके सेवन से आपको आराम मिलेगा। इसके लिए बस आप एक गिलास मट्ठा में एक चौथाई अजवायन पाउडर को डालकर दोपहर के खाने के बाद पीएं।
इन नुस्खों के अलावा अपने रूटीन और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके भी पाइल्स की बीमारी से बच सकते है -
1. रोज़ाना भरपूर मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं।
2. फाइबर से भरपूर खाना खाएं। फाइबर हमारे पाचन सिस्टम के लिए बेहद जरूरी होता है और बाउल मूवमेंट में भी मदद करता है। इसके अलावा फाइबर मल को भी सॉफ्ट बनाने में हेल्प करते हैं ताकि वह आसानी से शरीर से बाहर निकल पाए।
3. हल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहनें और प्राइवेट हिस्से की नियमित तौर पर सफाई करें।
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