सांस की बीमारी चाहे अस्थमा हो या ब्रोंकाइटिस, दोनों ही काफी ज्यादा खतरनाक है। बता दें अस्थमा सांस से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जिसमें श्वास नली में सूजन आ जाती है और यह सिकुड़ जाती है। जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत होती है, खांसी आती है, सांस लेने पर घरघराहट की आवाज आती है और सांस भी फूलती है।
बच्चे के स्वास्थ्य और विकास पर सांस की प्रॉब्लम गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। कई बार अस्थमा अटैक जान जाने की वजह भी बन जाती है। ऐसे में पेरेंट्स के लिए बच्चों में इस समस्या के होने पर उन्हें हैंडल करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताने जा रहे हैं कि आप अपने बच्चे को इस गंभीर सिचुएशन से कैसे बचा कर रख सकते हैं।
धुआं-मुक्त वातावरण रखें
घर के अंदर धुंआ मुक्त वातावरण सांस संबंधी समस्याओं के रोकथाम के लिए जरूरी कदम है। अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियां बच्चों में बढ़ने की एक बहुत बड़ी वजह सेकेंड हैंड धुआं है। इसलिए बच्चों के सामने या घर में धूम्रपान को अवॉयड करें, मच्छर भगाने के लिए कॉयल का इस्तेमाल ना करें, घर में धूप और अगरबत्ती आदि ना जलाएं। क्योंकि यह चीजें बच्चों की परेशानी को बढ़ा सकती हैं।
हेल्दी हैबिट्स अपनाएं
सांस की बीमारियों को होने से काफी हद तक रोकने के लिए बच्चों को हेल्दी हैबिट्स सिखाना चाहिए। जैसे कुछ भी खाने से पहले और बाद साबुन और पानी से हाथ धोना। शौचायल का उपयोग करने के बाद, पालतू जानवरों को छूने और खेलने के बाद भी हाथ धोना जरूर है। साथ ही बच्चों को यह भी सिखाएं कि खांसने व छीकने के दौरान रुमाल आदि से अपना मुंह और नाक जरूर ढकें। इससे कीटाणुओं को फैलने से रोका जा सकता है।
बैलेंस डाइट पर फोकस
सब्जियों, फलों और व्होल ग्रेन्स में कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनके सेवन से इम्यून और रेस्पिरेटरी फंक्शन दुरुस्त रहते हैं। इसलिए बच्चों की डाइट में एंटीऑक्सीडेंट्स चीजों को शामिल करना चाहिए। आप बच्चों की डाइट में पत्तेदार हरी सब्जियां और खट्टे फल जरूर शामिल करें। इन चीजों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में सूजन कम करने में मदद करती है।
समय-समय पर जांच है जरूरी
सांस की बीमारी का शीघ्र पता लगाने और इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा नियमित जांच जरूर करवानी चाहिए। साथ ही पेरेंट्स को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि बच्चों को सभी जरूरी वैक्सीनेशन जरूर लगे हों।