आयुर्वेद में पुनर्नवा को औषधीय गुणों का खजाना कहा गया है।। आमतौर पर बोहरविया डिफ्यूज़ा पौधों की जड़ों को पुनर्नवा कहा जाता है। इससे रेड स्पाइडरलिंग के नाम से भी जाना जाता है। पुनर्नवा कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण औषधि है। पुनर्नवा के सेवन से जुखाम, बुखार, गठिया, किडनी और हृदय रोगों से बचाव होता है। हालांकि पुनर्नवा का सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। ध्यान दें कि दिन में 10 ग्राम से ज्यादा पुनर्नवा का सेवन नहीं करना चाहिए। आज के इस लेख में हम आपको पुनर्नवा के फायदों के बारे में बताएंगे -
- बदलते मौसम में सर्दी-जुखाम होना आम बात है। साधारण सर्दी जुखाम के लिए पुनर्नवा का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। अगर आप सर्दी-जुखाम से परेशान हैं तो पुनर्नवा का काढ़ा बना कर ले सकते हैं। इसके लिए 5 ग्राम पुनर्नवा चूर्ण को आधे कप दूध और आधे कप पानी के साथ पका लें। इसके बाद इस मिश्रण को गर्म दूध में मिलाकर इसका सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन करने से आपको जुकाम खांसी में जल्द आराम मिलेगा।
- हृदय संबंधी समस्याओं के लिए भीपुनर्नवा को बहुत फायदेमंद माना जाता है। पुनर्नवा में कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जो किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। पुनर्नवा के सेवन से हृदय संबंधी रोगों से बचाव होता है। हालांकि इसका सेवन करने से पहले एक बार अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
- पुनर्नवा का सेवन करने से किडनी संबंधी रोगों से बचाव होता है। पुनर्नवा चूर्ण का नियमित रूप से सेवन करने से किडनी की बीमारियों का खतरा कम होता है। गुर्दे में मौजूद पथरी को खत्म करने के लिए भी पुनर्नवा का सेवन फायदेमंद माना जाता है।
- जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या होती है उनके लिए पुनर्नवा का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। पुनर्नवा के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर खाने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम हाई और लो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- बढ़ती उम्र के लक्षण हमारी त्वचा पर भी दिखने लगते हैं। पुनर्नवा का सेवन करने से बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम किया जा सकता है। दरअसल पुनर्नवा में एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। एक गिलास पानी में एक चम्मच पुनर्नवा का चूर्ण मिलाकर पीने से एजिंग के लक्षण कम होते हैं। ध्यान दें कि इस मिश्रण का से 1 हफ्ते में दो से तीन बार ही करें।