अगर आपको किसी के सांस लेने, चबाने या डकार लेने की आवाज़ से चिढ़ होती है और गुस्सा आता है तो आप मिसोफोनिया नामक बीमारी से ग्रस्त है। सामान्य स्थिति में हम ऐसी आवाज़ों से रूबरू होते हैं लेकिन मीजोफोनिया में व्यक्ति ऐसी आवाज़ों को सुनकर अपना आपा खो बैठता है। मेडिकल टर्म में समझें तो मिसोफोनिया एक तंत्रिका तंत्र का मनोविकार है। इस बीमारी में किसी विशेष प्रकार की आवाज के कारण व्यक्ति को गुस्सा और घबराहट हो सकती है।
क्या है मीजोफोनिया
डॉक्टर्स के मुताबिक, मीजोफोनिया एक साउंड डिसऑर्डर है। इस बीमारी में मरीज किसी खास तरह की आवाज से परेशान हो उठता है। ऐसे में व्यक्ति को किसी के सांस लेने की आवाज, खाना खाने की आवाज, घड़ी की सुई की आवाज, किसी के कुछ निगलने की आवाज या कुछ चाटने की आवाज से तकलीफ होने लगती है। इन आवाजों के कारण मिसोफोनिया से ग्रस्त व्यक्ति को तनाव, गुस्सा या चिड़चिड़ाहट होने लगती है। इन आवाज़ों के कारण व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक हो जाता है। ऐसे में मिसोफोनिया से ग्रस्त व्यक्ति को गुस्सा या चिड़चिड़ाहट होने लगती है और व्यक्ति हिंसक हो जाता है।
कैसी होती है मरीज की स्थिति
जिस आवाज से व्यक्ति को समस्या होती है, उसके संपर्क में आते ही व्यक्ति का स्वभाव काफी अलग तरह का हो जाता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वह अपने हाथ-पैर सिकोड़ने लगता है। कई बार व्यक्ति के शरीर में कंपन शुरू हो जाता है और वह इन आवाजों से दूर भागने की कोशिश करने लगता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति उस आवाज से काफी दूर अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है। कई बार व्यक्ति उन आवाजों से परेशान होकर आक्रामक हो जाता है और आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगता है।
इलाज
इस बीमारी का इलाज बिहेवियरल थेरेपी से किया जाता है। इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी और टिन्नीटस मिसोफोनिया से मरीज का इलाज किया जाता है। इसके अलावा मिसोफोनिया की बीमारी में मनोचिकित्सक जीवनशैली और व्यवहार में बदलाव का सुझाव देते हैं। सोने के समय में सुधार, तनाव के स्तर में कमी, रोजाना एक्सरसाइज और पोषक आहार से मिसोफोनिया के इलाज में मदद मिल सकती है।