हमारी बदलती जीवनशैली और खान-पान की आदतों की वजह से हम अक्सर गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। आज के समय में दिल की बीमारी होना आम बात हो गई है। आजकल हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी घातक बीमारियाँ तमाम लोगों की मौत का कारण बन गई हैं। लोग अक्सर अपने स्वास्थ्य की तरफ ध्यान नहीं देते हैं जिससे आगे चलकर उन्हें काफी गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हार्ट से जुड़ी किसी भी समस्या को नजरअंदाज करने की भूल ना करें क्योंकि छोटी सी परेशानी भी आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकती है। एट्रियल फायब्रिलेशन ऐसी ही एक दिल से जुड़ी बीमारी है। वैसे तो यह बीमारी घातक नहीं है लेकिन अगर समय रहते इलाज ना करवाया जाए तो बाद में यह हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। आज के इस लेख में हम आपको एट्रियल फायब्रिलेशन से जुड़ी जानकारी - देंगे
एट्रियल फायब्रिलेशन क्या है?
एट्रियल फायब्रिलेशन हार्ट से जुड़ी एक बीमारी है। इस स्थिति में दिल की धड़कन असामान्य या अनियमित हो जाती है, जिसे मेडिकल भाषा में एरिथमिया कहते हैं। हमारे हार्ट में चार हिस्से होते हैं - ऊपर के दो हिस्सों को एट्रिया कहते हैं और नीचे के दो हिस्सों को वेंट्रिकल्स कहते हैं। हार्ट के सभी हिस्से एक पैटर्न में काम करते हैं। हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में कुछ सेल्स होते हैं जो दिल की धड़कनों को एक रिदम में रखते हैं। इससे दिल की गति और धड़कनों का एक पैटर्न बना रहता है। जब ऊपर के दो हिस्सों यानि एट्रिया के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में सेल्स सही ढंग से काम नहीं करते तो उनमें जरूरत से ज्यादा इलेक्ट्रिकल सिग्नल जाने लगता है। इस वजह से दिल की धड़कनों का रिदम पैटर्न डिस्टर्ब हो जाता है और दिल असाधारण ढंग से धड़कने लगता है।
एट्रियल फायब्रिलेशन के लक्षण
सांस लेने में परेशानी
दिल असामान्य रूप से धड़कना
सीने में दर्द
थकान और कमजोरी
चक्कर
एट्रियल फाइब्रिलेशन का खतरा ज्यादा कब ज्यादा होता है
एट्रियल फाइब्रिलेशन का खतरा बढ़ती उम्र के लोगों में अधिक होता है। इसके अलावा हाई बीपी, डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापे से पीड़ित लोगों में भी यह समस्या होने की संभावना ज्यादा रहती है। ज्यादा मात्रा में कैफीन या धूम्रपान और शराब का सेवन करने वाले लोगों को भी एट्रियल फाइब्रिलेशन की परेशानी हो सकती है।
एट्रियल फाइब्रिलेशन का स्वास्थ्य पर प्रभाव -
असामान्य हार्टबीट
एट्रियल फाइब्रिलेशन की स्थिति में दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है जिससे जान को खतरा नहीं हो सकता है। लेकिन यदि इसका इलाज ना करवाया जाए तो यह गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है।
स्ट्रोक
हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी आने के कारण ह्रदय का ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इससे एट्रियम के अंदर का सारा खून वेंट्रिकल्स में नहीं जा पाता जिसकी वजह से एट्रियम में बहुत सारा खून जम जाता है और खून के थक्के (क्लॉट) बन जाते हैं। ये खून के थक्के रक्त धमनियों के माध्यम से मस्तिष्क में पहुंच सकते हैं जिससे मस्तिष्क में खून के बहाव में रुकावट आती सकती है और स्ट्रोक होने का खतरा रहता है।
हार्ट फेलियर
हार्ट के ऊपरी हिस्से में खून जमा होने से समय के साथ दिल काफी कमजोर हो जाता है और शरीर में पर्याप्त खून को पम्प नहीं कर पाता है। इस स्थिति में शरीर के सभी हिस्सों में खून ना पहुँचने से अचानक दिल की धड़कनें रुक जाती है और हार्ट फेलियर की स्थिति पैदा होती है।
एट्रियल फाइब्रिलेशन का इलाज
यदि आपको लगता है कि एट्रियल फाइब्रिलेशन के कोई भी लक्षण आप में मौजूद हैं तो तुरंत जाँच करवाएं और डॉक्टर की सलाह लें। एट्रियल फाइब्रिलशन की स्थिति में डॉक्टर दवा देगा या जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। इसके अलावा अपनी जीवनशैली और खान-पान की आदतों में सुधार करके भी आप इस समस्या से बच सकते हैं।