आजकल बच्चों में कई बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। वहीं बच्चों में कैंसर के मामले भी अधिक देखने को मिल रहे हैं। भारत में हाल ही में राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम की एक रिपोर्ट के मुताबिक 0 से 14 साल तक के बच्चों में कैंसर का 4 फीसदी खतरा होता है। कैंसर से पीड़ित बच्चे ग्लोबली चाइल्ड डेथ का पांचवा मुख्य कारण है।
वहीं 15 साल से कम उम्र के बच्चों में ल्यूकेमिया यानी की ब्लड कैंसर का अधिक खतरा होता है। यह ब्लड सेल्स असर डालता है। हांलाकि इसके लक्षण बच्चों में जल्दी नजर आ रहे हैं। वहीं कुछ मामलों में इसके लक्षण काफी समय बाद दिखाई देते हैं।
यदि समय रहते इन लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो बच्चों की जान बचाना काफी हद तक संभव हो जाता है। ऐसे में इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बच्चों में ल्यूकेमिया के शुरूआती लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं।
बच्चों में ल्यूकेमिया के लक्षण
बच्चों में ल्यूकेमिया के लक्षणों को पहचान पाना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि कई बार इसके लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों जैसे बुखार की तरह लगते हैं।
यदि आपका बच्चा थका हुआ या सुस्त रहता है, पूरी नींद होने के बाद भी आलस बना रहता है। तो यह ब्लड कैंसर का लक्षण हो सकता है।
इसके अलावा मसूड़ों से नाक से खून आना या स्किन पर लाल रंग के छोटे-छोटे स्पॉट होना भी ल्यूकेमिया का एक लक्षण है।
ल्यूकेमिया के कारण पीठ या हड्डियों में तेज दर्द हो सकता है।
बगल या गले पर गांठ होना, त्वचा के अंदर लिम्फ नोड्स महसूस होना आदि ल्यूकेमिया का संकेत हो सकता है। वहीं इनमें दर्द नहीं होता है अगर यह खुद से नहीं घुलती है।
बेचैनी, सूजन या पेट दर्द भी इसकी निशानी हो सकती है। इसके अलावा लिवर या शरीर के अन्य किसी अंग में सूजन भी महसूस हो सकती है।
यदि बच्चे को भूख कम लग रही है या उसका तेजी से वेट कम हो रहा है, तो यह भी कैंसर का लक्षण हो सकता है।
लगातार या बार-बार आने वाला फीवर भी कैंसर की तरफ इशारा करता है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।