हीमोफीलिया अनुवांशिक रोग होता है, यह बच्चों को अपने माता-पिता से विरासत में मिलता है। हीमोफीलिया में खून के थक्के नहीं बन पाते हैं और वह जम नहीं पाते हैं। ऐसी स्थिति में जब किसी को चोट आदि लगती है तो उसके शरीर से अधिक खून बनता हैं। क्योंकि शरीर में थक्के न बन पाने के कारण लगातार खून बहता रहता है। हमारे खून में क्लॉटिंग प्रोटीन पाया जाता है, जो प्रोटीन रक्त में थक्कों के निर्माण में सहायक होते हैं। जिससे रक्तस्राव को रोकने में मदद मिलती है।
ऐसे में बच्चों को कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बच्चों की मांसपेशियों या जोड़ों में ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा हड्डियों और मांसपेशियों में ट्यूमर जैसी स्थिति, जोड़ों में सूजन होना, जोड़ों में दर्द, संक्रमण या फिर क्लॉटिंग फैक्टर के खिलाफ एंटीबॉडी का विकास आदि समस्याएं हो सकती हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए डॉक्टर द्वारा सही इलाज और बच्चों की खास देखभाल की जानी चाहिए। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बाल रोग विशेषज्ञ की बताई गए कुछ टिप्स शेयर कर रहे हैं। जिनके जरिए आप अपने बच्चों का ध्यान रख सकते हैं।
इन बातों का रखें खास ख्याल
यदि किसी बच्चे को हीमोफीलिया होता है, तो ऐसी स्थिति में अधिक से अधिक प्रयास यही करे कि बच्चे को चोट न लगे। क्योंकि चोट लगने से ब्लीडिंग होगी
समय-समय पर बच्चे का डॉक्टर से चेकअप जरूर कराते हैं।
डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं रेगुलर तौर पर बच्चे को जरूर दें।
डॉक्टर से यह भी पूछ लें कि बच्चों को किन खेलों से दूरी बनानी चाहिए।
इसके साथ ही किसी भी तरह की सर्जरी से पहले डॉक्टर का परामर्श जरूर लें।
इन बातों पर दें ध्यान
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक यदि बच्चे को हीमोफिलिया है तो बच्चे के स्कूल स्टाफ, दोस्तों आदि को इसकी जानकारी जरूर दें। साथ ही आपातकाल स्थिति में बच्चे को किस तरह की देखभाल की जरूरत है, यह जानकारी भी देनी चाहिए।
इसके अलावा ब्लीडिंग को कैसे रोकना है, या अगर छोटी-मोटी चोट लगी है, तो उस दौरान क्या करना चाहिए।
डॉक्टर से कब परामर्श लेनी है और उनके पास कब जाना है या बुलाना है। इन सब बातों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है।