World Autism Awareness Day 2023: ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में दिखते हैं ऐसे लक्षण, जानिए कब और कैसे हुई इसकी शुरूआत
- अनन्या मिश्रा
- Apr 02, 2023
हर साल 2 अप्रैल को सयुंक्त राष्ट्र विश्व ऑटिज्म जागरुकता दिवस (World Autism Awareness Day) मनाता है। विश्व ऑटिज्म जागरुकता दिवस मनाए जाने के पीछे लोगों में ऑटिज्म के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देना है। दुनिया भर में बहुत से संगठन हैं। जो ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर के निदान और इलाज के लिए अपना योगदान देते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा अहम बात यह है कि लोगों को इस डिसऑर्डर के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
जानिए क्या होता है ASD
ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर में बहुत सारी न्यूरोडेवलपमेंटल या तंत्रिका विकास संबंधी स्थितियां पाई जाती है। इसमें एस्परजर सिंड्रोम और ऑटिज्म जैसी स्थितियां भी शामिल होती है। इन सभी स्थितयों को एएसडी या ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर में शामिल माना जाता है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोग दूसरे लोगों से आई कॉन्टेक्ट नहीं कर पाते, इसके अलावा किसी की आवाज सुनने के बाद भी जवाब न देना, भाषा को सीखने-समझने में परेशानी होना आदि दिक्कतें देखने को मिलती हैं। यह सामान्य लोगों से अलग दिखते हैं।
कैसे पहचानें लक्षण
इस समस्या से पीड़ित मरीज के लक्षण बचपन में 2 से 3 साल की उम्र में ही दिखाई देने लगते हैं। लेकिन कई बच्चों में इसके लक्षण बड़े होने के बाद भी नहीं समझ में आते हैं। इस स्थिति के गंभीर होने पर इसके विकार और लक्षणों की गंभीरता को दिखाते हैं। वहीं जिन लोगों में इसके हल्के लक्षण पाए जाते हैं उन्हें अधिक सहायता की आवश्यकता नहीं होती है। वहीं गंभीर और मध्यम लक्षणों वाले लोगों को अधिक सहायता की जरूरत होती है।
अवेयरनेस है जरूरी
ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षणों में दैनिक रूटीन के कामों को न कर पाना, संबंधों को बनाने और रोजगार कायम रखने में परेशानी होना आदि भी शामिल है। ऑटिज्म में व्यक्ति अपने ही दायरे में सिमट कर रह जाता है। इन लोगों में दोहरा और असामान्य बर्ताव देखने को मिलता है। इसका कारण पर्यावरणीय और अनुवांशिकी कारकों का मिश्रण होते हैं। इस बीमारी में सबसे बड़ी चुनौती इसके लक्षणों की पहचान कर उचित इलाज होता है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों में जागरुकता हो।
कब से मनाया जा रहा
1 नवंबर 2007 को संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने विश्व ऑटिज्म जागरुकता दिवस मनाने का संकल्प पास किया था। संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने इसे 18 दिसंबर 2007 को अपनाया था। हालांकि यह साल 2012 से मनाया जा रहा है।
बचने के उपाय
अगर आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा इस बीमारी से ग्रसित न हो तो प्रेग्नेंट महिलाओं को अपना नियमित रूप से मेडिकल चेकअप करवाते रहना चाहिए। साथ ही दवाएं भी नियमित तौर पर लेनी चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान शराब व धूम्रपान जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही हेल्दी खानपान लेना चाहिए।
भारत में इसका आंकड़ा
जनगणना के अनुसार, साल 2011 के भारत में 7,862, 921 बच्चे ऐसे थे जो अक्षम थे। जिनमें से 5,95, 089 बच्चे मानसिक रूप से अक्षम थे। एक अध्ययन में सामने आया कि भारत में हर 66 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है। हालांकि पिछले एक दशक से भारत में ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। यहां पर लोगों में ऑटिज्म के प्रति लोगों में जागरुकता की काफी कमी है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।