आजकल की बदलती लाइफस्टाइल के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक मोटापा है। जो लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रही है। खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण लोगों का तेजी से वजन बढ़ रहा है। मोटापा एक गंभीर समस्या है, जो दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रहा है। WHO ने इसको लेकर चेतावनी भी जारी की है। मोटापा कई सेहत संबंधी समस्याओं की वजह बन सकता है।
बता दें कि आर्थराइटिस भी एक ऐसी ही समस्या है, जो मोटापे का परिणाम हो सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि मोटापा किस तरह से गठिया को प्रभावित करता है और इनमें क्या संबंध है।
जानिए मोटापा और गठिया में संबंध
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, जोड़ों में सूजन, परेशानी और मूवमेंट में कमी होना गठिया के लक्षण हैं। यह एक पुरानी बीमारी है। इस बीमारी में जोडों में सूजन और कठोरता आ जाती है। इसको अर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। मोटापा उन कारकों में से एक है, जो व्यक्ति को ऑस्टियोआर्थराइटिस का शिकार बनाता है। OA गठिया का सबसे प्रचलित प्रकार है। वहीं जब व्यक्ति का वजन बढ़ता है, तो घुटने और कूल्हे सहित वजन सहने वाले जोड़ों पर मैकेनिकल स्ट्रेस बढ़ जाता है।
गठिया को बदतर बना सकता है मोटापा
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो बायोमैकेनिक्स और जोड़ों की अलाइनमेंट को मोटापा बदल सकता है। जिसके कारण असामान्य लोडिंग पैटर्न हो सकता है। जोड़ों को सहारा देने वाले लिगामेंट्स और टेंडन के कमजोर होने की वजह से मोटापा जोड़ों की स्थिरता को अधिक खतरे में डालने का काम करता है। इस कारण जोड़ों की डिजनरेटिव प्रोसेस तेज हो जाती है और उनके डैमेज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
गठिया में जरूरी है वेट लॉस
वजन कम करने से जोड़ों पर शरीर का दबाव कम हो सकता है। साथ ही इससे ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा और इंटेंसिटी कम हो सकती है। गंभीर गठिया होने पर जब इलाज, लाइफस्टाइल में बदलाव से भी मरीजों को लंबे समय तक राहत नहीं देते हैं। तो फिर घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी जरूरी हो सकती है। पिछले कुछ सालों में रोबोटिक आर्म-असिस्टेड तकनीक ने दुनियाभर में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को बदल दिया है।
रोबोटिक्स तकनीक
इस तकनीक के बारे में बताते हुए डॉक्टर ने कहा कि मरीज के रोगग्रस्त जोड़ का रोबोटिक्स तकनीक सीटी स्कैन के आधार पर एक वर्चुअल 3डी मॉडल बनाने में सहायता करती है। बता दें कि यह तकनीक डॉक्टर्स को ऑपरेशन से पहले सर्जरी की योजना बनाने, रिप्लेसमेंट अलाइनमेंट तय करने और सटीक हड्डी काटने में सहायक होती है।