प्रेग्नेंसी के नौ महीने एक्साइटमेंट से भरपूर होते हैं। इस दौरान मां और गर्भ में पल रहे बच्चे में कई तरह के बदलाव तेजी से आते हैं। शिशु का गर्भ में बड़ी तेजी से विकास होता है। मां के बेबी बंप को देखकर यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्भ के अंदर बच्चे का विकास हो रहा है। लेकिन इस दौरान हम यह नहीं देख सकते कि बच्चे का कितना विकास हुआ है। प्रेग्नेंसी के दौरान हफ्ते दर हफ्ते बच्चे के अंगों का विकास होता है। जिसमें बच्चे का ब्रेन भी शामिल है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं कि बच्चे के ब्रेन का विकास किस सप्ताह में शुरू होता है।
ब्रेन का विकास
Healthline के मुताबिक प्रेग्नेंसी के पांचवे हफ्ते के आसपास बच्चे के ब्रेन के विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन 6 या 7वें हफ्ते तक न्यूरल ट्यूबों के बंद होने पर मस्तिष्क शुरू होता है। इस दौरान शिशु का ब्रेन तीन अलग हिस्सों में बंट जाता है। यहीं से मस्तिष्क का विकास शुरू हो जाता है।
ब्रेन के हिस्से
Mayo clinic के मुताबिक शिशु का ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड और हार्ट का विकास पांचवे हफ्ते में शुरू हो जाता है। शिशु का मस्तिष्क सेंट्रल नर्वस सिस्टम का हिस्सा है। शिशु के मस्तिष्क में तीन चीजें काफी अहम होती है। ब्रेन में सेरेब्रम, सेरिबैलम और ब्रेम स्टेम होता है।
सेरेब्रम- ब्रेन के इस हिस्से में याद रखना, महसूस करना और सोचना शामिल होता है।
सेरिबैलम- यह हिस्सा मोटर कंट्रोल का जिम्मेदार होता है। सेरिबैलम बच्चे को अन्य चीजों के अलावा हाथ और पैर हिलाने की अनुमति देता है।
ब्रेन स्टेम- ब्रेन का यह हिस्सा शिशु के शरीर को जीवित रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें शिशु की सांस, बीपी और दिल की धड़कन शामिल है।
पहले तिमाही में
इस दौरान शिशु के ब्रेन का काफी तेजी से विकास होता है। चौथे सप्ताम में न्यूरल प्लेट डेवलप होती हैं। यह प्लेटें न्यूरल ट्यूब बनाने का काम करती हैं। वहीं 6 से 7वें हफ्ते के आसपास न्यूरल ट्यूब बंद होने पर सेफलड पोर्शन तीन हिस्सों में बंट जाता है। जिसमें फ्रंट ब्रेन, मिड ब्रेन और हिंड ब्रेन शामिल हैं।
दूसरी तिमाही में
Healthline के मुताबिक दूसरी तिमाही के दौरान शिशु का ब्रेन शरीर के कार्यों का कमांड लेना शुरू कर देता है। इस दौरान बॉडी में कुछ विशेष मूवमेंट होती है। यह मूवमेंट हिंडब्रेन और विशेष तौर पर सेरेबिलम से आती हैं। शिशु की ब्रीदिंग मूवमेंट भी नर्वस सिस्टम द्वारा शुरू हो जाती है। शिशु का सेरेबेलिम हिस्सा मोटर कंट्रोल स्किल्स को कंट्रोल करने का काम करता है। जिसके कारण मां को कई बार बच्चे की किक भी महसूस होती है। वहीं दूसरी तिमाही खत्म होने तक बेबी का ब्रेन एक वयस्क व्यक्ति की तरह दिखने लगता है। इस दौरान तक ब्रेन स्टेम लगभग पूरी तरह से विकसित हो चुका होता है।
तीसरी तिमाही में
तीसरी तिमाही के दौरान दाएं और बांए ब्रेन का हिस्सा अलग हो जाता है। इस दौरान सेरेबेलम हिस्सा सबसे अहम होता है। क्योंकि सेरेबेलम की मदद से बेबी की किक, स्ट्रेचिंग और पंविंग व अन्य मूवमेंट को कंट्रोल होता है।