शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत 17 अक्टूबर से हो चुकी है। नवरात्रि के नौ दिन माता दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होते हैं। इन दिनों में भक्त नवदुर्गा की उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिन तक उपवास करते हैं तो कुछ लोग सिर्फ प्रथम और अंतिम दिन ही व्रत करखते हैं। धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। व्रत रखने का एक अर्थ यह भी है कि आप आप अपनी इन्द्रियों और इच्छाओं को नियंत्रित करते हैं। वहीं, डॉक्टर्स का मन्ना है कि व्रत रखने से बदलते मौसम में होने वाले संक्रमण से बचाव होता है। लेकिन जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें अपने स्वास्थ्य और खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खासतौर पर जो लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं उन्हें नवरात्रि व्रत के दौरान अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है। शुगर, बीपी और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को नवरात्रि व्रत के दौरान अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना चाहिए। जब हम नवरात्रि का व्रत रखते हैं तो इसका हमारे स्वास्थ्य पर बहुत असर होता है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि का व्रत रखने से हमारे ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर पर क्या असर होता है -
ब्लड प्रेशर के मरीजों को हो सकती है परेशानी
ब्लड प्रेशर के मरीजों को नवरात्रि में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जो लोग ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें पूरे नौ दिन के व्रत रखने से परहेज करना चाहिए। अगर नौ दिनों का व्रत रख भी रहें तो अपने स्वास्थ्य और खान-पान का खास ख्याल रखें। जो लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान हैं उन्हें व्रत में ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए। वहीं, कुछ लोग व्रत में सेंधा नमक का सेवन भी नहीं करते हैं। ऐसे में लो बीपी के मरीजों का ब्लड प्रेशर और भी कम हो सकता जिसकी वजह से उन्हें चक्कर, उलटी, कमजोरी और सिरदर्द जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं।
व्रत रखने से बढ़ सकती है शुगर
डायबीटीज के मरीजों को नवरात्रि व्रत सिर्फ तभी रखना चाहिए जब उनका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में हो। अगर आप नवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो आपको अपने ब्लड शुगर पर खास ध्यान रखना होगा। जो लोग शुगर की बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें नवरात्रि व्रत में अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। जिन लोगों के शरीर में शुगर की कमी होती है उन्हें व्रत के दौरान आम दिनों की तुलना ज़्यादा देर भूखा रहना पड़ता है। इस वजह से उनके खून में ग्लूकोज की मात्रा कम हो सकती है जिसके कारण चक्कर आना, दिल की धड़कन तेज होना और कमजोरी जैसी दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति से बचाव के लिए तरल पदार्थ और फल आदि का सेवन करते रहें। वहीं, जिन लोगों की शुगर ज्यादा होती है उन्हें व्रत में आलू, मीठा और तला-भुना खाने से परहेज करना चाहिए।
व्रत के दौरान तला-भुना खाने से बढ़ सकता है कोलेस्ट्रॉल
आमतौर पर लोग नवरात्रि व्रत में आलू, कुट्टू के आटे की पूड़ी, साबूदाना की खिचड़ी, पनीर के पकौड़े, सिंघाड़े के आटे का हलवा आदि खाते हैं। इन सभी चीज़ों में कार्बोहायड्रेट, फैट और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण कोलेस्ट्रोल बढ़ सकता है। जिन लोगों को पहले से ही हाई कॉलेस्ट्रॉल की समस्या है उन्हें व्रत के दौरान तली-भुनी और मीठी चीज़ें खाने से परहेज करना चाहिए।
व्रत में आप मौसमी फलों, नारियल पानी, लस्सी आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके साथ ही आप आलू की बजाय लौकी को कम घी में छौंक कर खा सकते हैं। ध्यान दें कि अगर आप ड्राई फ्रूट्स का सेवन कर रहे हैं तो जरूरत से ज्यादा ड्राई फ्रूट्स ना खाएँ। यदि आपको किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी लग रही है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।