Serum Institute of India ने ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर बना ली है कोरोना वैक्सीन, 2020 के आखिर तक होगी भारत में उपलब्ध
- Healthy Nuskhe
- Aug 20, 2020
दुनियाभर में कोरोना वारयस की वैक्सीन पर काम चल रहा है। भारत सहित विश्व के कई अन्य देशों में कोरोना वारयस की वैक्सीन बनाने की रेस लगी हुई है। दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना की करीब 200 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इन में से कई ट्रायल के पहले और दूसरे फेज में हैं तो कई ह्यूमन ट्रायल के आखिरी फेज में हैं। कोरोना वारयस की जितनी भी वैक्सीन डेवेलप की जा रही हैं, उनमें से रेस में सबसे आगे ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी-अस्त्राजेनेका की वैक्सीन 'कोविशील्ड' है। पुणे की बायोटेक कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) अस्त्राजेनेका के साथ मिलकर इस वैक्सीन का प्रॉडक्शन कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक यह वैक्सीन भारत में भी उपलब्ध होगी। सरकार अन्य देशों के साथ-साथ भारत में बनाई जा रही कोरोना वैक्सीन पर भी नजर बनाए हुए है। भारत में अभी कुल तीन वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है जिसमें से सबसे आगे ऑक्सफर्ड की वैक्सीन ही है। भारत सरकार के मुताबिक बाकी दो वैक्सीन भी ट्रायल में क्लियर होने के बाद ऑक्सफर्ड वैक्सीन के कुछ दिन बाद ही बाज़ार में उतर सकती हैं।
भारत में चल रहा है कोविशील्ड का फेज 2 और 3 ट्रायल
SII कोविशील्ड वैक्सीन के प्रॉडक्शन में अस्त्राजेनेका की पार्टनर है। SII ने इस वैक्सीन का फेज 2 और फेज 3 ट्रायल शुरू कर दिया है। देश के 17 शहरों में 18 साल से ज्यादा उम्र वाले करीब 1600 लोगों पर इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल हो रहा है। एक सूत्र के मुताबिक अगर टीके को मंजूरी मिल गई तो इसका इस्तेमाल तर्कसंगत होगा क्योंकि यह वैक्सीन भारत में ही बन रही है।
फेज 1 और 2 ट्रायल में हैं भारत की दो अन्य वैक्सीन
भारत में कोविशील्ड के अलावा Covaxin और Zycov-D नाम की दो अन्य कोरोना वैक्सीन पर भी काम चल रहा है। ये दोनों वैक्सीन अभी ट्रायल के फेज 1 और 2 में हैं। SII देश में करीब 1600 लोगों पर कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल कर रहा है, जबकि बाकी दोनों वैक्सीन का 1000 से लेकर 1100 लोगों पर ट्रायल हो रहा है।
यूके में हो चुका ऑक्सफर्ड वैक्सीन का ट्रायल
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन 'कोविशील्ड' का फेज 1 और फेज 2 ट्रायल यूनाइटेड किंगडम में पूरा हो चुका है। वैक्सीन के शुरुआती नतीजे पॉजिटिव रहे हैं। ट्रायल के नतीजों में पाया गया कि वैक्सीन की एक डोज देने के 28 दिन के अंदर ऐंटीबॉडी रेस्पांस डेवलप होता है। वहीं, दूसरी 'बूस्टर' डोज देने पर ऐंटीबॉडी रेस्पांस और ज्यादा हो जाता है।
SII है ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन में पार्टनर
भारत में इस्तेमाल के लिए सभी विदेशी वैक्सीन में ऑक्सफर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड रेस में सबसे आगे है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके प्रोडक्शन में भारतीय बायोटेक कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (SII) पार्टनर है। SII वैक्सीन बनाने के साथ-साथ इसका डिस्ट्रीब्यूशन भी करेगी। हाल ही में SII को इस वैक्सीन के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और GAVI से फंडिंग मिली है।
रूसी ने भी बनाई कोरोना वैक्सीन
हाल ही में रूस के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने भी ऐलान किया था कि उन्होंने Sputnik V नाम की कोरोना वैक्सीन बना ली है। पिछले हफ्ते ही इस वैक्सीन को इस्तेमाल के लिए अनुमति दे दी गई है। हालांकि, कई देश इस वैक्सीन पर शक जाहिर कर चुके हैं लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सेफ है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।