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Hypersomnia: गंभीर स्वास्थ्य जोखिम का संकेत हो सकता है अधिक नींद आना, जानिए कारण

By Healthy Nuskhe | Aug 28, 2024

अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम और अच्छी नींद बेहद जरूरी है। अच्छी और पर्याप्त नींद मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखती है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट भी रोजाना रात में कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं। अच्छी नींद को अच्छी सेहत का भी संकेत माना जाता है। लेकिन क्या आपको ज्यादा या अक्सर ही नींद और सुस्ती जैसी समस्या बनी रहती है। क्या अक्सर आपको भी दिन के समय नींद आती रहती है और सोकर उठने के बाद फिर से सोने का मन करता है।

बता दें कि अधिक नींद आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार नाइट शिफ्ट, अधिक मेहनत करने या फिर देर रात तक पढ़ाई करने से आपको इस तरह की समस्या हो सकती है। लेकिन यह स्थिति अक्सर रहने पर यह चिंता का विषय हो सकता है।

ज्यादा नींद आने की समस्या
ज्यादा नींद आने की समस्या को हाइपरसोमनिया के नाम से जाना जाता है। पर्यावरणीय और लाइफस्टाइल जैसे कारकों के अलावा नींद संबंधी विकार, दवाओं के दुष्प्रभाव, अवसाद, थायरॉयड विकार और कुछ प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से ज्यादा नींद आने लगती है।

सामान्य से ज्यादा घंटे सोने और दिन में नींद लगने की समस्या को हाइपरसोमनिया कहा जाता है। इस समस्या के होने पर आपको थकान, आंखें थकी हुई और आंखों को बार-बार बंद करने की जरूरत लगती है।

हालांकि ज्यादा नींद आने को गंभीर समस्या नहीं माना जाता है, लेकिन अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो आप कुछ कारणों पर ध्यान दे सकते हैं। जिसकी वजह से आपको अधिक नींद आती है।

दवाओं का साइड-इफेक्ट
कुछ प्रकार की दवाओं के साइड-इफेक्ट के कारण भी ज्यादा नींद आने की समस्या हो सकती है। खासतौर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज कराने वाले लोगों में इस तरह की समस्या ज्यादा देखने को मिल सकती है। एक रिपोर्ट की मानें तो नाक बंद होने, अवसाद, ब्लड प्रेशर और मिर्गी आदि का इलाज करा रहे लोग दवाओं का सेवन करते हैं, जिसके कारण उन्हें ज्यादा नींद आने की समस्या बनी रह सकती है। अगर आपको लगता है कि दवाओं के सेवन के कारण आपको ज्यादा नींद आ रही है, तो आप डॉक्टर की सलाह लें।

न्यूरोलॉजिकल समस्या
आपको बता दें कि कुछ प्रकार के न्यूरोलॉजिकल विकार जैसे नार्कोलेप्सी से पीड़ित लोगों को बहुत ज्यादा नींद आने की समस्या होती है। नार्कोलेप्सी की स्थिति दिमाग की उस क्षमता को प्रभावित कर देती है, जो सोने और जागने के चक्र को कंट्रोल करती है। वहीं रात के समय ऐसे लोगों की नींद टूटती रहती है। वहीं दिन में काम के समय अधिक नींद आती है।

नार्कोलेप्सी की समस्या से पीड़ित लोग भोजन करते-करते या फिर बातचीत के बीच में सो सकते हैं।
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