अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी हैं, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त धीरे-धीरे खोने लगती है। अल्जाइमर होने पर दिमाग के वह सेल नष्ट होने लगते हैं, जो याद रखने, सोचने व समझने के लिए जरूरी होते हैं। वहीं अगर इस बीमारी की जल्द पहचान ना होने पर यह बीमारी इस कदर हावी हो जाती है कि व्यक्ति अपना नाम, पता आदि भूलने लगता है। इसलिए समय रहते इस बीमारी का पता लगाना बेहद जरूरी होता है। इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल अल्जाइमर्स डे मनाया जाता है।
जानिए कब मनाया जाता है अल्जाइमर्स डे
बता दें कि हर साल 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे मनाया जाता है। साल 1994 में 'अल्जाइमर डिसीज इंटरनेशनल' के 10 साल पूरे होने पर हर साल 21 सितंबर को अल्जाइमर दिवस मनाया जाने लगा। अल्जाइमर डिसीज इंटरनेशनल एक नॉन प्रोफिट है, जो डिमेंशिया और अल्जाइमर के लिए काम करती है। अल्जाइमर डिसीज इंटरनेशनल की स्थापना साल 1984 में हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2030 तक अल्जाइमर के मरीजों की संख्या दोगुना हो सकती है। हालांकि पहले यह बीमारी 50 साल की उम्र पार कर चुके लोगों में होती थी। लेकिन अब 30-40 साल के लोगों में इस बीमारी के लक्षण देखने को मिलते हैं।
इस साल की थीम
साल 2023 में अल्जाइमर्स डे की थीम 'नेवर टू अर्ली, नेवर टू लेट' रखी गई है। डिमेंशिया से बचाव के लिए यह थीम जल्द से जल्द अल्जाइमर के लक्षणों की पहचान करने व उससे बचाव के तरीकों पर जोर दे रही है। अल्जाइमर डे को मना कर लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक करने और अल्जाइमर और डिमेंशिया को ले कर चले आ रहे टैबू को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
लक्षण
अल्जाइमर के शुरूआती लक्षण में व्यक्ति बातें भूलने लगता है और बार-बार एक ही बात को पूछता है।
रोजमर्रा के काम खुद से ना कर पाना, साथ ही चीजों को ऑर्गेनाइज करने में समस्या होना।
रंगों की पहचान करने में दिक्कत होना। दूरी का अंदाजा ना लगा पाना आदि।
चीजें रखकर उन्हें भूल जाना या फिर उन चीजों को दोबारा वापस ना ढूंढ पाना।
सोशल एक्टिविटीज से दूर भागना।
ऐसे करें बचाव
बताया जाता है कि अल्जाइमर की बीमारी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन कुछ सावधानी बरतकर इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके लिए मेंटल स्ट्रेस न लें, नींद पूरी लें, खानपान का ध्यान रखें और अपनी डेली रूटीन में एक्सरसाइज शामिल करें।