कोरोना महामारी ने दुनियाभर में हाहाकार मचा रखा है। भारत में अभी भी कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं जिसके चलते देशभर के लोगों की नजरें कोरोना वैक्सीन पर टिकी हुई हैं। कोरोना वारयस वैक्सीन को लेकर हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यों को समितियाँ बनाने को कहा है। इन समितियों को कोविड-19 के टीकाकरण के कामकाज को देखने और समन्वय का काम सौंपा जाएगा। इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों को शुरुआत से ही सोशल मीडिया पर नज़र रखने को कहा है ताकि कोरोना वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहों को रोका जा सके। केंद्र ने राज्यों को को कहा है कि वे यह भी सुनिश्चित करें कि सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका कम से कम असर पड़े।
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री, हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि अगले साल जुलाई महीने तक 20-25 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन मिल सकेगी। केंद्र सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस वैक्सीन देने में करीब एक साल का समय लगेगा और इसमें विभिन्न समूह को शामिल किए जाए। केंद्र के अनुसार कोरोना टीकाकरण की शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों से की जाएगी जिसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल कर्मी, स्वच्छता कर्मी, आशा कार्यकर्ता और निगरानी अधिकारी शामिल होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको ध्यान में रखते हुए टीकाकरण की तैयारियों के लिए राज्य और जिला स्तर पर समिति बनाने को कहा है। यह समितियाँ टीकों को रखने के लिए शीत गृह की श्रृंखला, परिचालन तैयारी, भौगोलिक आधार पर राज्य विशेष की चुनौती आदि की समीक्षा करेंगी।
आपको बता दें कि दुनियाभर में वैज्ञानिक ऐसी दवा बनाने में जुटे हुए हैं जिससे कोरोना वायरस संक्रमण को रोका जा सके।ख बरों के मुताबिक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भारत बायोटेक द्वारा तैयार की जा रही कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सीन' संस्थान की 'आचार समिति' के सामने पेश कर सकता है, ताकि अस्पताल में तीसरे चरण का परीक्षण शुरू करने की अनुमति मिल सके। वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट (SII) के सीईओ आदर पूनावाला के मुताबिक इस साल दिसंबर महीने तक कोविड-19 वैक्सीन बनने की संभावना है।