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Monsoon Diet: मानसून में हेल्दी और फिट रहने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स

By Healthy Nuskhe | Aug 01, 2024

मौसम में हुए बदलाव के साथ शरीर को उसके हिसाब से ढालना मुश्किल होता है। किसी भी मौसम में हेल्दी रहने के लिए आपको उस मौसम के साथ तालमेल बिठाना जरूरी होता है। बारिश के मौसम में बुखार, खांसी, बार-बार बीमार पड़ना जैसे वायरल इंफेक्श का जोखिम बढ़ जाता है। मानसून में इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखना जरूरी होता है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक बारिश के मौसम में वात दोष बढ़ जाता है। वात का बढ़ना कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है।

इसलिए मानसून में अपने वात को संतुलित रखने के लिए, पाचन को बेहतर बनाने और इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए आपको खान-पान में कुछ आयुर्वेदिक नियमों का पालन करना चाहिए। तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको मानसून में स्वस्थ रहने के नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं और मानसून में क्या खाना चाहिए यह भी बताने जा रहे हैं।

पूरे दिन शुंठी सिद्ध पानी पिएं
यदि आप पूरा दिन शुंठी सिद्ध पानी पीते हैं, तो आपकी इम्यूनिटी, भूख और चयापचय को बेहतर रखने में सहायता मिलती है। इस पानी को पीना बहुत आसान है। इस जल को बनाने के लिए 1 लीटर पानी लें औऱ इसमें आधा चम्मच सूखा अदरक पाउडर यानी शुंठी या ताजे अदरक का एक छोटा डंठल डालकर मीडियम आंच पर 10 मिनट तक पकाएं। पानी में उबाल आने के बाद इसको छान लें। अब इसको कमरे के तापमान पर ठंडा कर लें। इसके बाद इस पानी को स्टील की बोतल में भरकर रख दें। फिर आप पूरा दिन इस पानी का सेवन कर सकते हैं।

शहद खाएं
यदि आप रोजाना सुबह उठने के बाद या फिर रात में सोने से पहले एक चम्मच शहद का सेवन करते हैं, तो इससे कफ को संतुलित करने में सहायता मिलती है। साथ ही यह आपके वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है। मानसून में शहद का सेवन करने से आपको जुकाम और खांसी जैसी बीमारियां नहीं होती हैं।

पुराने अनाज का सेवन करें
बारिश के मौसम में आप पुराने अनाज जैसे- पुरानी दाल, पुराने चावल या पुराने बाजरे का सेवन कर सकते हैं। यानी की आपको ताजी उपज का नहीं बल्कि 1-2 साल पहले की उपज वाले अनाज का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेद में भी मानसून के दौरान पुरानी उपज वाले अनाज के सेवन की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह आसानी से पच जाता है और वात या पाचन संबंधी समस्याओं के खतरे को कम करता है। वहीं नए अनाज का सेवन पाचन संबंधित समस्याओं की वजह बन सकता है।
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