भारत में स्वस्थ जीवन परंपरा की नींव काफी गहरी है। आयुर्वेद में बताया गया है कि हमारी रसोई में मौजूद सभी मसाले और हर्ब्स कई बीमारियों की दवा है। वहीं सर्दियों के मौसम में हर किचन में गुड़ मिल जाता है। गुड़ की तासीर गर्म होती है, जिसकी वजह से इसको सर्दियों का सुपरफूड कहा जाता है। बता दें कि गुड़ एक औषधीय चीज या मिठाई से कहीं ज्यादा है। करीब 600 ईसा पूर्व के आसपास गन्ना मलय प्रायद्वीप और बर्मा से भारतीय उपमहाद्वीप में आया था। लगभग तब से ही यहां गुड़ का उत्पादन हो रहा है। मौजूदा समय में पूरी दुनिया का 70% भारत में बनता है।
गुड़ का सेवन करने से एनर्जी लेवल बढ़ता है और इसमें कई जरूरी विटामिन्स, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम पाया जाता है। गुड़ का सेवन एनीमिया के जोखिम से भी बचाता है। वहीं यह जोड़ों के दर्द के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।
गुड़ की न्यूट्रिशनल वैल्यू
गुड़ में शुगर सुक्रोज और फ्रुक्टोज के रूप में होता है। इसलिए इसका स्वाद मीठा होता है और इसको खाने से फौरन एनर्जी मिलती है। गुड़ में विटामिन A, C और E पाया जाता है। यह विटामिन्स शरीर के लिए जरूरी होता है। वहीं गुड़ में आयरन और मिनरल्स पाया जाता है।
गुड़ खाने के फायदे
बता दें कि भारतीय भोजन पद्धति में भोजन करने के बाद एक टुकड़ा गुड़ खाने का रिवाज है। यह रिवाज अब हमारे बीच इस कदर रच-बस गया है कि जो लोग मीठा नहीं खाते हैं, वह भी गुड़ खाने से इंकार नहीं करते हैं। गुड़ खाने से पाचन में मदद मिलती है। साथ ही यह ब्लड और लिवर को भी डिटॉक्स करता है। इसकी खासियत यह है कि गुड़ खाने से लंग्स और ब्रॉन्कियल इंफेक्शन से बचाव होता है। वहीं रोजाना गुड़ खाने से रेस्पिरेटरी डिजीज का जोखिम कम होता है।
अन्य फायदे
डाइजेस्टिव हेल्थ में सुधार
लिवर और ब्लड डिटॉक्स होता है।
रेस्पिरेटरी इंफेक्शन दूर होता है।
कॉन्स्टिपेशन की समस्या दूर होती है।
मेंटल और फिजिकल स्ट्रेस कम होता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से राहत मिलती है।
हार्ट हेल्थ इंप्रूव होती है।
एनर्जी लेवल बढ़ता है।
किन लोगों को नहीं करना चाहिए गुड़ का सेवन
जो लोग वेट कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
जो लोग डायबिटिक हैं या जिनका ब्लड शुगर सामान्य से ज्यादा रहता है।
जिनके दातों में सड़न या कैविटी है।
जो लोग शुगर सेंसिटिव हैं।