स्वस्थ रहने के लिए प्रोटीन का सेवन करना बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं मिल रहा है, तो इससे कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। बता दें कि रोजाना शरीर को कैलोरी का कम से कम 10 प्रतिशत प्रोटीन लेना जरूरी होता है। इसको आप अपनी डाइट में कई तरह से शामिल कर सकते हैं। आप नाश्ते में एक कप दही ले सकते हैं, दोपहर में स्किनलेस चिकन ब्रेस्ट या दाल का सेवन करें, रात को खाने में एक कप बीन्स का सेवन करें।
बता दें कि इससे शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होती है। लेकिन अगर आपके शरीर में प्रोटीन की कमी होने लगती है, तो बॉडी में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि शरीर में प्रोटीन की कमी होने से किस तरह के लक्षण नजर आते हैं।
प्रोटीन की कमी होने के लक्षण
सूजन या स्वेलिंग आना
शरीर में प्रोटीन की कमी का सबसे बड़ा संकेत सूजन का होना है। जिसको एडिमा भी कहा जाता है। ऐसा होने से आपके शरीर में खासतौर पर पैर, पेट और हाथों में सूजन की समस्या होनी शुरू हो जाती है।
मूड स्विंग होना
अगर आपका भी मूड बार-बार बदलता रहता है या आप बात-बात पर गुस्सा या परेशान रहते हैं, तो आपकी शरीर में प्रोटीन की कमी हो सकती है। दरअसल, शरीर में प्रोटीन की कमी होने से न्यूरोट्रांसमीटर नहीं बन पाता है, जो हमारे दिमाग के काम करने के तरीके को स्थिर बनाता है और ये बार-बार बदलता है। जबकि प्रोटीन की कमी से सेरोटोनिन और डोपोमाइन का लेवल कम होने लगता है। ऐसे में आप आक्रामक या उदास महसूस कर सकते हैं।
बाल, स्किन और नाखूनों पर असर
शरीर में प्रोटीन की कमी होने से इसका बालों, नाखूनों पर त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है। प्रोटीन की कमी से कोलेजन, केरोटिन और इलास्टिन जैसे प्रोटीन नहीं बन पाते हैं। जिसकी वजह से बाल पतले, स्किन ड्राई और नाखूनों पर निशान आने लगते हैं।
कमजोरी और थकान
शोध में मिला जानकारी के अनुसार, अगर आप सिर्फ एक सप्ताह प्रोटीन का सेवन नहीं करते हैं, तो आपको मूवमेंट और पोस्चर में फर्क आने लगता है। इससे आपकी मसल्स कमजोर होने लगती हैं। अगर आप 55 साल या इससे अधिक उम्र के हैं, तो आपको मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है और एनीमिया की समस्या होने लगती है। सेल्स तक ऑक्सीजन न पहुंचने से आपको जल्दी थकान महसूस होने लगती है।
घाव का धीमी गति से भरना
बता दें कि जिन लोगों में प्रोटीन का मात्रा कम पाई जाती है। अक्सर उनकी चोट या खरोंचें ठीक होने में काफी समय लग जाता है। इन लोगों को आसानी से मोच या इंजूरी हो जाती है। इसका मुख्य कारण बॉडी में पर्याप्त कोलेजन नहीं बनना है और इम्यूनिटी भी कम हो जाती है।